कुछ जगहें होती हैं जो बहुत मशहूर होती हैं इसलिए यहां भीड़
भी बहुत होती है। मैं ऐसी जगहों पर जाने से दूर रहता हूं लेकिन मैं नैनीताल हमेशा
से जाना चाहता था। वजह है यहां की खूब सारी झीलें। मुझे नैनीताल को देखने में इतनी
ज्यादा दिलचस्पी नहीं थी जितनी आसपास की झीलों को देखने में थी। हम नैनीताल में एक
दिन पहले आ चुके थे लेकिन असली घुमक्कड़ी अब शुरू होने वाली थी।
27 अप्रैल 2022। हम सुबह-सुबह उठे और तैयार हो गए। हमने
मल्लीताल में नाश्ता किया और अब हमें पैदल ही मॉल रोड जाना था। हमें नैनीताल को
घूमने के लिए एक स्कूटी की जरूरत थी। हमने एक स्कूटी वाले से बात कर ली थी। सबसे पहले
हम नैनी लेक को देखने गए। सुबह-सुबह नैनी लेक खूबसूरत लग रही थी। झील में इस समय
बोटिंग नहीं हो रही थी। इस वजह से भी लेक अच्छी लग रही थी।थोड़ी देर बाद हम मॉल रोड पर स्कूटी वाले की दुकान पर थे।
यहां हमने टीवीएस की स्कूटी को 700 रुपए में रेंट पर ले लिया। हम दुकानदार से ही
नैनीताल के आसपास की जगहों के रास्ते के बारे में पूछ लिया। अब हम स्कूटी से
नैनीताल में थे और थोड़ी देर बाद ही नैनीताल से बाहर थे। हम सबसे पहले भवाली जाना
था और वहां से नीम करौली कैंची धाम।
सफर शुरू
नैनीताल से भवाली 10 किमी. की दूरी पर है। हमने एक जगह पेट्रोल
भरवाया और फिर आगे बढ़ चले। कुछ देर बाद शहर पीछे छूट गया और हम पहाड़ी रास्ते पर
आगे बढ़ चले। घुमावदार रास्ते पर स्कूटी चलाने में वाकई में मुझे मजा आ रहा था।
पहाड़ों में स्कूटी चलाने का एक अलग अनुभव होता है। मसूरी के बाद अब मैं नैनीताल
में पहाड़ों में स्कूटी पर था। लगभग आधे घंटे बाद हम लोग भवाली पहुंच गए। यहां से
हमें तीन रास्ते मिले। एक रास्ता मुक्तेश्वर की ओर जा रहा था। एक रास्ता भीमताल की
तरफ और एक कैंची धाम। हमने नीम करौली कैंची धाम का रास्ता पकड़ लिया। थोड़ी ही
दूर चले थे तो हम एक जगह आग लगी दिखी। गर्मियों में पहाड़ों में अक्सर आग लग जाती
है। यहां तो चीड़ के पेड़ भी बहुत हैं जिसकी वजह से आग अक्सर लग जाती है। हम फिर
से घुमावदार रास्ते पर बढ़ने लगे। कुछ देर बाद हम कैंची धाम पहुंच गए। कैंची धाम
नीम करौरी बाबा का है।
कैंची धाम
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कैंची धाम। |
कैंची धाम रोड किनारे की स्थित है। हम उस आश्रम को देखने के
लिए बढ़ गए। परिसर के अंदर फोटो खींचना मना था। हम उसी का पालन करते हुए आश्रम को
देख रहे थे। आश्रम में कई सारे मंदिर थे जिसमें एक मंदिर नीम करौरी महाराज का भी
था। जिसमें उनकी एक मूर्ति भी रखी हुई है। परिसर को देखने के बाद हम बाहर आ गए।
स्कूटी उठाई और भवाली की ओर बढ़ चले।
अब हम नैनीताल के आसपास की झीलों को देखना था। सबसे पहले
हमें भीमताल जाना था। इसके लिए हम वापस उसी रास्ते से भवाली जा रहे थे। कुछ देर बाद हम लोग भवाली पहुंच गए। यहां से हमने भीमताल
जाने वाला रास्ता पकड़ लिया। भवाली से भीमताल की दूरी 11 किमी. है। घुमावदार रास्ते
से बढ़े जा रहे थे और भीमताल पहुंचने में हमें ज्यादा समय नहीं लगा।
भीमताल लेक
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भीमताल लेक। |
भीमताल लेक के चारों तरफ सड़क है हालांकि लेक के आसपास
लोगों की भीड़ न के बराबर थी। इस लेक में भी बोटिंग होती है लेकिन हमारा ऐसा करने
का कोई मन नहीं था। भीमताल नैनीताल
जिले का एक कस्बा है। झील का पानी एकदम हरा और साफ था। यहां पर हम कुछ देर रूके और
फिर आगे बढ़ चले।भीमताल से अब हमें नौकुचियाताल जाना था। भीमताल से
नौकुचियाताल लगभग 9 किमी. की दूरी पर है। जैसे-जैसे हम आगे बढ़ रहे थे, रास्ता
सुंदर होता जा रहा था। लोगों से लेक का रास्ता पूछते हुए हम नौकुचियाताल पहुंच गए।
हमने अपनी गाड़ी पास में ही पार्क कर दी और लेक देखने पहुंच गए। नौकुचियाताल लेक
भीमताल लेक से बड़ी लग रही थी।
नौकुचियाताल लेक
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नौकुचियाताल लेक। |
नौकुचियाताल लेक के चारों तरफ हरे-भरे पेड़ और खूबसूरत
पहाड़ थे। लेक में लोग बोटिंग कर रहे थे। किनारे में कुछ बत्तख भी थीं। नौकुचियाताल
लेक नैनीताल की सबसे गहरी झील में से एक है। ये लेक 983 मीटर लंबी, 693 मीटर चौड़ी
और 40 मीटर गहरी है। हमने सुबह से कुछ खाया नहीं था इसलिए यहीं एक दुकान पर मैगी
खाई।
नौकुचियाताल लेक के ठीक बगल पर एक और छोटी सी झील है। इस
लेक का पानी काफी गंदा था। मैगी वाले ने बताया कि ये कमलताल लेक है। कुछ दिनों के
बाद पूरी झील कमल से भर जाती है। वाकई में वो खूबसूरत नजारा होता होगा। दोनों
झीलों को देखने के बाद हम आगे बढ़ गए। अब हमे सात ताल लेक देखने जाना था।
सातताल लेक
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सातातल झील। |
हम फिर से अपनी स्कूटी से आगे बढ़े जा रहे थे। इस बार हमें
कुछ लंबी दूरी नापनी थी। नौकुचियाताल से सात ताल लगभग 17 किमी. की दूरी पर है। सबसे
पहले हम भीमताल आए और वहां से सात ताल के रास्ते पर चल पढ़े। कुछ देर चलने के बाद
हम मुख्य सड़क से गांवों वाले रास्ते पर चलने लगते हैं। सातताल लेक तक का रास्ता
वाकई में शानदार है। गांवों से होकर जाने वाले इस रास्ते में हरियाली ही हरियाली
है। रास्ते में हमें बहुत ज्यादा गाड़ियां भी नहीं मिलीं।हमें बहुत जोर की भूख लगी थी और हमें कुमाऊंनी थाली भी खानी
थी। सात ताल में पहुंचने के बाद हमने अपने लिए एक ढाबे से कुमाऊंनी थाली मंगवा ली।
इस कुमाऊंनी थाली में हमें आलू के गुटके, भट्ट की दाल, कुमाऊंना रायता, झोली, भांग
की चटनी, मडुवा की रोटी और चावल मिले। थाली वाकई में शानदार थी। पेट पूजा करने के
बाद हम सात ताल लेक को देखने लिए निकल पड़े।
सातताल लेक सात ताजे पानी की झीलों से मिलकर बनी हुई है। ये
झील काफी बड़ी भी है। ये काफी सुंदर भी है। सातताल में लोगों की भीड़ भी कम थी और
चारों तरफ हरियाली भी बहुत थी। यहां पर भी बोटिंग होती है लेकिन हमें पैदल घूमने
में ही अच्छा लग रहा था। हम लेक के पास ही एक जगह जाकर बैठ गए। यहां हम काफी देर
बैठे रहे। एक बुजुर्ग व्यक्ति रस्सी के सहारे पानी में गोते लगा रहा था और उसकी
पत्नी फोटो खींच रही थी। ऐसे ही कई नजारों को सातताल में हम देख रहे थे। नैनीताल
का सफर अभी खत्म नहीं हुआ था। अभी तो हमें कई सारे एडवेंचर करने थे।
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