घुमक्कड़ों के लिए हिमाचल प्रदेश किसी खजाने से कम नहीं है। वैसे भी पहाड़ तो हर किसी को लुभाते हैं। कई सारी जगहों के होने के बावजूद लोग जाने क्यों चुनिंदा जगहों पर ही जाते हैं। हिमाचल प्रदेश की इन लोकप्रिय जगहों पर आपको सिर्फ भीड़ ही भीड़ मिलेगी। मैं पहली बार हिमाचल की यात्रा पर आया तो इन फेमस जगहों को छोड़कर कुछ छोटी जगहों पर गया। रामपुर बुशहर से यात्रा को शुरू किया। रिकांगपिओ और कल्पा होते हुए नाको पहुंचा। नाको के बाद अब मुझे स्पीति घाटी की यात्रा पर जाना है।
सुबह-सुबह हम नाको में उठ गए। नाको से स्पीति जाने वाली पहली बस सुबह 9:30 बजे आती है। ये बस काजा तक जाती है। पहले हम ताबो जाने वाले थे लेकिन अब हम काजा जा रहे हैं। होटल से चेक आउट करके हम सुबह 8 बजे ही नाको बस स्टैंड पहुंच गए। हमने सोचा कि बस से पहले कुछ और साधन मिल गया तो उससे काजा निकल जाएंगे। मैं आने जाने वाली गाड़ियों से लिफ्ट मांगने लगा। मैंने काजा की ओर जा रहे ट्रैक्टर से भी लिफ्ट मांगी। लगभग 1 घंटे तक जब सफलता नहीं मिली तो पास के ढाबे पर बैठ गया।बस आ गई
लगभग 10:30 बजे बस काजा के लिए चल पड़ी। हम फिर से घुमावदार रास्ते पर थे। बस में बिहार के कई लोग बैठे थे जो दशकों से स्पीति में काम कर रहे थे। बस के बाहर नजारा वाकई में खूबसूरत था। रास्ता बेहद खराब मिल रहा था। बस के सामने कोई गाड़ी आ जाती तो बड़ी सावधानी के साथ दोनों गाड़ियां निकलतीं। कई जगहों पर कच्चे रास्तों पर काम भी हो रहा था। इन रास्तों पर गाड़ी चलाना कोई आसान काम नहीं है।
थोड़ी देर बाद हम ऊंचाई से समतल रास्ते पर आ गए। रास्ते के बगल से नदी भी बह रही है। नाको से काजा की दूरी 110 किमी. है। मैंने अनुमान लगाया कि 1 या 2 बजे तक हम काजा पहुंच जाएंगे लेकिन जैसा रास्ता मिल रहा है, उससे अनुमान हो गया काजा पहुंचने में समय लगेगा। अच्छी बात ये थी कि इतने अंदरूनी इलाके में बिजली और नेटवर्क अच्छा था। हर गांव में मुझे एक टावर लगा हुआ दिखाई दे रहा था। कई घंटों की यात्रा के बाद एक आईटीबीपी का चेक पोस्ट आया। यहां पर विदेश से आए लोगों का परमिट चेक किया जाता है। तोमरे का भी परमिट देखा गया।दोपहर के 12:30 बजे हमारी बस हुरलिंग में रूकी। हुरलिंग स्पीति वैली का एक छोटा-सा गांव है। धूप बहुत तेज थी और यहां गर्म हवा भी चल रही थी। ऐसा लगा कि पतझड़ का मौसम शुरू हो गया है। हुरलिंग में कुछ होमस्टे दिखाई दे रहे थे। हम तोमरे के साथ एक ढाबे में बैठे। मैंने सूप पिया और तोमरे ने इंडियन थाली मंगवाई। लगभग आधे घंटे के बाद बस फिर से चल पड़ी। अब रास्ते में खूब सारे गांव दिखाई दे रहे थे। गांव का बोर्ड भी रोड पर लगा हुआ था। जिस पर गांव की जनसंख्या भी लिखी है। कुछ गांव की जनसंख्या तो सिर्फ 30 थी। ये गांव वाकई में अद्भुत थे।
काजा अब आएगा
ऐसे ही खूबसूरती को निहारने के लिए एक जगह बस 10 मिनट के लिए रूकी और फिर चल पड़ी। सुबह 10 बजे से हम बस में बैठे थे और बढ़े ही जा रहे थे लेकिन काजा आने का नाम ही नहीं ले रहा था। लगभग 4 बजे हमारी बस काजा में घुस गई। हम काजा के बस स्टैंड पर पहुंच गए। हमारी स्पीति की यात्रा इसी काजा से शुरू होने थी। स्पीति की यात्रा में कई रोमांचकारी और सुंदर पल आने अभी बाकी थे।
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