हिमाचल प्रदेश घूमने वालों के लिए एक जन्नत है। यहाँ प्राकृतिक सुंदरता से लेकर रोमांच तक सब कुछ है। मैं पहली बार हिमाचल प्रदेश स्पीति वैली की यात्रा पर आ गया था। तब से बार-बार हिमाचल जाने का मन करता है। इस बार भटकते-भटकते बिर-बिलिंग पहुँच गया। एक बात आपको साफ़ करना चाहता हूँ कि बिर बिलिंग एक जगह नहीं है बल्कि बिर और बिलिंग दोनों अलग-अलग जगह है। बिर में एक ट्रेक और दो शानदार झरनों को देखने के बाद अब एक नया अनुभव लेना बाक़ी था। अगले कुछ दिन हमने हिमाचल प्रदेश की वादियों में कैंपिंग की।
बिर बिलिंग को हमने अभी एक्सप्लोर नहीं किया था और हम बिर को घूमना भी चाहते थे। साथ में ही बिर के पास एक गाँव में कैंपिंग का मौक़ा मिल रहा था। जब मैंने उसका पैकेज देखा तो उसमें बिर को घूमना भी शामिल था। हमने बिर के होटल में बैठकर अगले तीन दिन के लिए कैंपिंग में बुकिंग कर ली। मैं इससे पहले जैसलमेर की रेत में ऐसे लग्ज़री कैंप में ठहरा था। पहाड़ों में ट्रेकिंग के दौरान भी टेंट में रूकने का मौक़ा मिला है लेकिन पहाड़ों में ऐसे लग्ज़री कैंप में ठहरने का पहला अनुभव होने वाला था।
पहला दिन
लग्ज़री कैंपिंग
कुछ देर में हम बिर से बाहर निकलकर छोटे-से रास्ते पर बढ़ते जा रहे थे। पहाड़ी और जंगल के रास्ते से लगभग आधे घंटे के बाद हम एक गाँव में पहुँच गए। कुछ ही देर में कैंप साइट पर पहुँच गए। इस कैंप साइट में पाँच लग्ज़री टेंट बने हुए हैं। इसके अलावा एक रेस्टोरेंट जैसा कुछ है, जहां बैठकर आप खाना खा सकते हैं और किचन भी है। पहाड़ों और जंगलों से घिरी ये कैंप साइट वाक़ई में शानदार है। अंदर से भी टेंट काफ़ी शानदार और सज़ा हुआ है। बारिश की वजह से मौसम भी काफ़ी शानदार है। थोड़ी देर बाद फिर से बारिश शुरू हो गई। मैं यही सोच रहा था कि हमने सही समय पर ट्रेकिंग और वाटरफॉल देख लिया। बारिश की वजह से हम पहले दिन कहीं नहीं जा पाए हालाँकि लज़ीज़ खाना ज़रूर खाया।
दूसरा दिन
बैजनाथ धाम
बैजनाथ में एक काफ़ी प्रसिद्ध मंदिर है जो भगवान शिव को समर्पित है। बैजनाथ में दशहरा पर रावण के पुतले को नहीं जलाया जाता है इसके पीछे एक किंवदंती है। कहा जाता है कि लंकापति रावण ने कड़ी तपस्या की लेकिन जब भगवान ने दर्शन नहीं दिए तो रावण अपने सभी सिरों को काटकर समर्पित करने लगा। जब रावण अपने आख़िरी सिर को काटने वाला था तो भगवान शिव ने दर्शन देकर उसका हाथ पकड़ लिया। रावण ने उनसे शिव के स्वरूप शिवलिंग को लंका में स्थापित करने का वर माँगा।
भगवान ने शिवलिंग तो दे दी लेकिन साथ में शर्त रखी कि तुम इसको कहीं रखना नहीं है, अगर एक बार कहीं शिवलिंग रख दी तो वहीं स्थापना हो जाएगी। जब रावण लंका की तरफ़ जा रहा था तो उसे पेशाब लगी। उसने पास में ही खड़े चरवाहे को शिवलिंग को पकड़ा दिया और पेशाब करने के लिए चला गया। चरवाहा शिवलिंग का भार नहीं सह पाया और उसने नीचे रख दी। जिस जगह पर शिवलिंग रखी, वहीं पर बैजनाथ मंदिर है। इस वजह से बैजनाथ में रावण का पुतला नहीं जलाया जाता है।
सूर्यास्त
बैजनाथ मंदिर को देखने के बाद हम पास में ही स्थित शेरावलिंग मोनेस्ट्री पहुँच गए। ये मोनेस्ट्री भट्टू गाँव में स्थित है। शेरावलिंग मोनेस्ट्री का परिसर काफ़ी बड़ा है। हमने मोनेस्ट्री को अच्छे से एक्सप्लोर किया। इतनी शानदार मोनेस्ट्री को पहले कभी नहीं देखा था। ये मोनेस्ट्री काफी बड़ी शानदार है। मैंने स्पीति वैली के काजा शहर में मठ देखा था लेकिन ये तो लाजवाब निकली। इसके बाद हम बिर पहुँच गए। बारिश की वजह हमने पैराग्लाइडिंग तो नहीं की लेकिन कैफ़े में बैठकर शानदार सूर्यास्त देखा। पहाड़ों में सूर्यास्त काफ़ी शानदार होता है। हर जगह का सूर्यास्त एक अलग अनुभव देता है।
बिर बिलिंग में लाजवाब सूर्यास्त देखने के बाद हम वापस कैंपिंग पहुँच गए। रात के समय जब लाइट जली तो कैंपिंग साइट और भी सुंदर लगने लगी। इस कैंपिंग साइट में ये हमारा आख़िरी दिन था। लाजवाब खाना खाने के बाद कुछ ही देर में हम नींद की आग़ोश में चले गए। अगले दिन मौसम साफ़ था। लग रहा था कि बिर हमें विदा करने के लिए तैयार था। थोड़ी देर में हम बिर पहुँच गए। तिब्बती कॉलोनी से हमने बस पकड़ी और निकल पड़े एक नई यात्रा पर। ये यात्राएँ ही तो हैं जो हमें ज़िंदा क़ौम का एहसास दिलाती हैं।