वृंदावन उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले का एक ऐतिहासिक शहर है। वृंदावन ब्रज भूमि क्षेत्र की एक प्रमुख जगहों में से एक है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, वृंदावन में ही भगवान श्रीकृष्ण ने अपना बचपन बिताया था। वृंदावन मथुरा शहर से सिर्फ 10 किमी. की दूरी पर है। वृंदावन की यात्रा के बिना मथुरा को घूमना अधूरा माना ही जाएगा। वृंदावन के कण-कण में भगवान श्रीकृष्ण की लीलाएँ हैं। भगवान कृष्ण और राधा की इस पवित्र जगह को वृंदावन धाम के नाम से जाना जाता है। हाल ही में मैंने इस शानदार शहर की यात्रा की।
वृंदावन
इस गली में घुसते ही समझ आ गया कि यही मंदिर का रास्ता है। गलियाँ लोगों से गुलज़ार थीं और दुकानें भी बेहद सजी हुईं थीं। रास्ते में मिठाइयाँ और फूल वालों की भी बहुत सारी दुकानें थीं। हर मिठाई की दुकान पर एक वाक्य ज़रूर लिखा था, मंदिर के लिए प्रसाद यहीं से जाता है। इन शानदार गलियों से मैं बढ़ता जा रहा था। रास्ते में कई सारे बच्चों और महिलाओं के हाथ में तिलक लगाने की कटोरी थी जो राधे-राधे नाम का तिलक लगाते और फिर उसके बदले पैसे लेते। मैं बिना तिलक लगवाए ही आगे बढ़ता चला गया। कुछ देर बाद मैं मंदिर के अंदर था।
बाँके बिहारी मंदिर
बाँके बिहारी मंदिर सिर्फ वृंदावन का ही नहीं पूरे देश का सबसे प्रतिष्ठित मंदिर है। मंदिर काफ़ी विशाल और खूबसूरत हैं। मंदिर के अंदर फ़ोटो और वीडियो लेना मना है। राजस्थानी शैली में बने इस मंदिर में भगवान कृष्ण की बेहद सुंदर मूर्ति है। मंदिर को देखने के बाद मैं बाहर आ गया। मैं बाहर मंदिर को निहार की रहा था तभी एक बंदर एक महिला के चेहरे पर लगे चश्मे को निकालकर ऊपर बैठ गया। जब महिला ने बंदर की तरफ़ मिठाई उछाली तो उसने चश्मे को छोड़कर मिठाई को लपक लिया। इससे मैं एक बात समझ गया कि वृंदावन में बंदरों से बचकर रहना पड़ेगा।
इस्कॉन मंदिर
इस्कॉन मंदिर के पास में ही प्रेम मंदिर है। पैदल-पैदल टहलते हुए मैं प्रेम मंदिर पहुँच गया। प्रेम मंदिर भी वृंदावन के सबसे शानदार मंदिरों में से एक है। प्रेम मंदिर का परिसर भी काफ़ी बड़ा है। इस मंदिर को 2001 में जगद्गुरु श्री कृपालुजी महाराज ने बनवाया था। दो तल के इस मंदिर राधा कृष्ण और सीता राम की मूर्ति स्थापित है। मंदिर के परिसर के अंदर आप मोबाइल से फ़ोटो और वीडियो ले सकते हैं लेकिन मंदिर के अंदर किसी भी प्रकार की फ़ोटो और वीडियो लेना मना है।
मंदिरों की टाइमिंग
मथुरा और वृंदावन को घूमते हुए आपको टाइमिंग को ध्यान में रखना है। दोनों की जगह पर मंदिर सुबह-सुबह लोगों के लिए खुल जाते हैं और दोपहर में 12 बजे के आसपास सभी मंदिर बंद कर दिए जाते हैं। इसके बाद शाम में 4 बजे से मंदिर खुलने शुरू होते हैं और आरती के बाद रात में 8 बजे मंदिर बंद हो जाते हैं। आपको इस समय के बीच में मंदिर को देखना पड़ेगा। आपको वृंदावन में दिन में कोई भी मंदिर खुला नहीं मिलेगा।
यमुना घाट
वृंदावन में बाँके बिहारी मंदिर, इस्कॉन मंदिर और प्रेम मंदिर को मैंने देख लिया। दोपहर के 1 बजने की वजह से अब मैं और कोई मंदिर को तो देख नहीं पाऊँगा। इसलिए अब मेरे पास एक ही जगह पर जाने का विकल्प बचा, यमुना घाट। मथुरा की तरह वृंदावन भी यमुना के किनारे बसा हुआ है। रास्ते में मुझे एक मदन मोहन का एक मंदिर देखने को मिला। उस मंदिर को देखने के बाद मैं घाट की तरफ़ परिक्रमा मार्ग पर चलने लगा।
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