राजस्थान भारत के सबसे खूबसूरत राज्यों में से एक है। मुझे खूबसूरत महल और किलों वाले इस प्रदेश में जाना पसंद है। जब भी मौका मिलता है मैं राजस्थान के किसी शहर में पहुँच जाता हूं। इसी तरह मैंने पुष्कर, अजमेर, जैसलमेर और जयपुर को एक्सप्लोर कर चुका हूं। मैं दोबारा किसी शहर में जाना पसंद नहीं करता हूं लेकिन न चाहते हुए भी जयपुर बार-बार पहुँच जाता हूं। हर बार जयपुर में कुछ अलग और नया पाता हूं। इस बार भी मेरे साथ कुछ ऐसा ही हुआ।
मैं अपने दो दोस्तों के साथ हरियाणा के हिसार में था। हम लोगों के पास 3-4 दिन थे सो मैंने उनसे आगरा चलने के लिए कहा। उन्होंने जयपुर घूमने की बात कहीं। काफी चर्चा के बाद जयपुर के लिए मैंने हाँ कर दिया। शाम को हम हिसार बस स्टैंड गये। जहाँ हमें जयपुर के लिए रात में कोई बस नहीं मिली। किस्मत से एक ट्रेन में सीटें खाली थीं। हमने रात 12 बजे की टिकट बुक कर ली। हमारे दो दोस्त दूसरे होटल में ठहरे हुए थे। हम समय बिताने के लिए वहाँ पहुँच गए।
ट्रेन पकड़ पाएंगे?
जब हमने उनको अपना प्लान बताया तो पहले तो उन्होंने न चलने की बात कही लेकिन आखिरी समय पर हाँ कर दी। इसके बाद जल्दी-जल्दी सामान समेटा और रोड पर आ गए। अब रेलवे स्टेशन के लिए कोई टैक्सी न मिले। हमें लगने लगा कि अब तो टैक्सी मिलना बहुत मुश्किल है। तभी एक टैक्सी सामने से आते हुए दिखाई दी। फिर क्या था कुछ ही मिनटों में हम हिसार रेलवे स्टेशन पर पहुँच गए। ट्रेन पहले से लगी हुई थी सो हम सब अपनी-अपनी सीट पर जाकर लेट गए।
जयपुर रेलवे स्टेशन। |
अब हमें ऐसा होटल चाहिए था जहाँ वाई फाई अच्छा चलता हो। एक टैक्सी वाला मिला जिसने हमसें कहा कि ऐसा होटल हमारे बजट में दिलवाएगा। फिर क्या था? हम जयपुर के होटलों को खोजने लगे। कई सारे होटलों में गये। कहीं बजट बहुत ज्यादा था तो कहीं वाई फाई नहीं था। आखिर में बाईस गोदाम के पास एक ऐसा ही होटल मिल गया। हमने सामान रखा और तैयार होकर जयपुर को घूमने के लिए निकल गये।
दिन 1
हवा महल
हवा महल। |
सिटी पैलेस
इसके बाद हमने शस्त्रागार दीर्घा में भी बहुत सारे शस्त्र देखे। अगला पड़ाव चन्द्र महल था। जहाँ राजा का दरबार लगता था। ये महल काफी बड़ा था। महल में लगी झालर बेहद खूबसूरत लग रही थी। यहाँ भी फोटो खींचना मना था। यहाँ सभी महाराजाओं की तस्वीर ओर उनके बारे में लिखा हुआ था। इसके बाद हम बाहर निकल आये। इसके बाद बाकी दोनों लोग होटल के लिए निकल गये और मैं फिर से एक नई जगह को देखने के लिए बेताब था।
गणेश मंदिर जाना है!
इसके बाद किसी ने बताया कि रानी बाजार के बगल से गणेश मंदिर जा सकते हैं। मैं पैदल-पैदल ही लोगों से पूछते हुए चलता गया। किसी ने बताया कि ई-रिक्शा ले लो। मैंने ई-रिक्शा ले लिया, जिसने मुझे एक तिराहा पर छोड़ दिया। कुछ देर पैदल चला तो एक पुरानी इमारत सी दिखी। पास आकर देखा तो उस पर लिखा था गैटोर की छत्रियां। ये वो जगह है जहाँ राजाओं की समाधि है। मैं अंदर गया तो अंदर का नजारा देखकर दिल खुश हो गया। संगमरमर और बलुआ पत्थर से बनी ये जगह बेहद खूबसूरत है।
पहाड़ी के बिल्कुल तलहटी पर स्थित ये जगह वाकई सुंदर है। सबसे अच्छी बात ये है कि यहाँ बहुत भीड़ नहीं थी। इसकी वजह से शहर से दूर होना हो सकता है या फिर लोगों को इस जगह के बारे में पता नहीं होगा। इस जगह को देखने के बाद बगल से लगभग 200 सीढ़ियां गणेश मंदिर की ओर गई हैं। मैं तेज धूप में उन पर चढ़ने लगा। कुछ ही देर बाद मैं थक गया और पसीने से तर-तर हो गया। ऐसे ही चलते-चलते मैं गणेश मंदिर पहुँच गया। यहाँ से जयपुर खूबसूरत लग रहा था। उंचाई से सब कुछ खूबसूरत लगता है। कुछ देर यहाँ ठहरने के बाद वापस चलने लगा। शाम हो गई थी सो अब मैं भी होटल के लिए निकल गया। जयपुर का सफर अब तक मेरे लिए खूबसूरत रहा।
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