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Wednesday, 6 July 2022

नैनीताल का बेहद खूबसूरत टिफिन टॉप ट्रेक, देखने को मिले बेहद खूबसूरत नजारे

नैनीताल की यात्रा अब तक हमारे लिए शानदार रही थी। हमने अपनी स्कूटी से आज कैंची धाम, भीमताल, नौकुचियाताल, कमलताल और फिर सातताल गए। सातताल के बाद हम नैनीताल लौट आए थे। अभी शाम के 5 बजे थे और हमें गाड़ी लौटानी थी 8 बजे। अब या तो हम गाड़ी अभी लौटा देते और फिर पैदल घूमते या फिर 8 बजे तक स्कूटी से घूमते। तब हमने टिफिन टॉप का ट्रेक करने के बारे में सोचा।

हमें ये तो पता था कि टिफिन टॉप नैनीताल में ही है लेकिन कहां है ये पता नहीं थी। हमने नैनीताल लेक के पास पूछते हुए ग्राउंड के पास पहुंच गए, जहां क्रिकेट खेला जा रहा था। हमने वही खड़े एक पुलिस वाले से टिफिन टॉप का रास्ता पूछा। अब हम छोटी गलियों से स्कूटी लेकर चढ़े जा रहे। चढ़ाई इतनी खड़ी थी कि अगर हमारी स्कूटी में ब्रेक अच्छे नहीं होते तो लुढ़कते हुए वापस नैनीताल पहुंच जाते।

ट्रेक शुरू

कुछ देर बाद हम ऐसी जगह पर पहुंचे। जहां से टिफिन टॉप का ट्रेक शुरू होता है। वहां पर टिफिन टॉप का बोर्ड भी लगा हुआ था। टिफिन टॉप का ट्रेक 3-4 किमी. का है। ये बात हमें उस समय पता नहीं थी। शाम होने लगी थी, हमें लग रहा था कि लौटते-लौटते अंधेरे ना हो जाए। फिर भी टिफिन टॉप ट्रेक के रास्ते पर थे। ट्रेक में हमारे साथ कोई नहीं था। शायद शाम होने की वजह से कोई भी यहां नहीं था।

पत्थरों वाला ये ट्रेक मुझे छोटा और आसान ही लग रहा था लेकिन जिन्होंने पहले ट्रेक नहीं किया उनको इसमें भी परेशानी होगी। कुछ ऐसा ही मेरे साथी के साथ हो रही थी। हम आराम-आराम से बात करते हुए बढ़े जा रहे थे। रास्ता पूरा सुनसान था और खूबसूरत भी था। धूप हम तक आ तो नहीं रही थी लेकिन दिखाई दे रही थी कि अब तक सनसेट हुआ नहीं है।

जंगल जंगल



ट्रेक काफी हरा-भरा था। चारों तरफ पेड़ ही पेड़ थे और बहुत सारे फूल भी लगे हुए थे। भीड़ न होने की वजह से यहां इतनी शांति थी कि पंक्षियों की चहचहाहट को आराम से सुना जा सकता था। उसी आवाज तो सुनते हुए आगे बढ़ते जा रहे थे। तभी पीछे से एक आदमी आता हुआ दिखाई दिया। तब हमने चैन की सांस ली कि इस ट्रेक में हम अकेले नहीं हैं।

अब हम तीन लोग टिफिन टॉप पर पहुंचने के लिए इस सुनसान रास्ते पर बढ़े जा रहे थे। हम सब यही सोच रहे थे कि अभी कितना दूर है? मुझे छोड़कर बाकी दोनों लोग यहां से वापस लौटने के पक्ष में थे लेकिन मैं तो टिफिन टॉप को देखे बिना वापस लौटने वाला नहीं था। तभी सामने से एक स्थानीय महिला सिर पर लकड़ियां रखकर ऊपर की ओर से आते दिखी। हमने उनसे पूछा तो उन्होंने बताया कि आप आ गए हैं, बस थोड़ा दूर है।

खूबसूरत नैनीताल

महिला की बात सुनकर हम सब बढ़े जा रहे थे। अब तक चढ़ाई थोड़ी खड़ी हो गई थी लेकिन चढ़ने में बहुत ज्यादा कठिनाई नहीं हो रही थी। कुछ देर बाद हमें एक जगह पर दुकानें दिखीं। हम समझ गए कि अपनी मंजिल पर पहुंचने वाले हैं। यहां से कुछ सीढ़ियां ऊपर गईं थी और वही टिफिन टॉप था। टिफिन टॉप से क्या खूबसूरत नजारा दिखाई दे रहा था।

टिफिन टॉप से पूरा नैनीताल दिखाई दे रहा था। चारों तरफ हरे-भरे पहाड़ और बीच में कंक्रीट के घर बने हुए थे। अभी भी सनसेट नहीं हुआ था। हम टिफिन टॉप के ऊंचे पहाड़ पर चढ़ गए। यहां से नजारा भी खूबसूरत था और हवाएं भी तेज चल रही थी। हमने यहां से बेहद खूबसूरत सूर्यास्त देखा। नैनीताल की मेरी यात्रा शानदार होते जा रही थी। कुछ देर यहां ठहरने के बाद हमने वहां दुकान पर मैगी खाई।

शाम हो चली थी और अब हमें टिफिन टॉप से नीचे लौटना था। टिफिन टॉप से हम नीचे उतरने लगे और बातों ही बातों में कब नीचे आ गए, पता ही नहीं चला। कुछ देर बाद अब हम नैनीताल लेक के सामने थे। टिफिन टॉप के ट्रेक के बाद नैनीताल का सफर शानदार हो गया था। ऐसे ट्रेक यात्राओं को और भी शानदार बना देते हैं।

नैनीताल के इस सफर में अब एक और शानदार जगह जुड़ना बाकी थी। हमने उस जगह पर जाने के लिए स्कूटी अगले दिन के लिए भी ले ली। हमने स्कूटी लेकर अपने होटल आए और वहीं पर लगा दी। अब हमें इस खूबसूरत यात्रा पर जाने के लिए अगली सुबह का इंतजार करना था।

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