Saturday, 3 December 2022

मेरी 15 दिन की राजस्थान ट्रिप, इस तरह से शुरू हुई

राजस्थान की सुंदरता का अंदाजे-ए-बयां ही कुछ अलग है। यहाँ के किले, महल और हवेलियां में वैभवता और राजशाही झलकती है। इसी वैभवशाली राजस्थान के मैंने कई शहर एक्सप्लोर किए हुए हैं लेकिन एक लंबी यात्रा का प्लान दिमाग में चल रहा था। पहले वो प्लान कागज पर उतरा और फिर एक दिन मैं उस प्लान के तहत राजस्थान निकल पड़ा। 

18 नवंबर 2022 को मेरी यात्रा उत्तर प्रदेश के झांसी से शुरू हुई। दोपहर के 2 बजे मैंने जयपुर के लिए ट्रेन पकड़ी। दिन की यात्रा मुझे हमेशा खराब लगती है। रात की यात्रा सबसे बेहतरीन होती है। सीट पर सो जाओ और नींद खुलने पर आप अपने गंतव्य के आसपास ही कहीं होते हैं। लेकिन झांसी से जयपुर के लिए एक ही ट्रेन थी और वो भी दिन के समय। मैंने दिन में समय काटने के लिए स्टेशन से नवीन चौधरी की ढाई चाल किताब ले ली। मैंने इससे पहले उनकी जनता स्टोर किताब को पढ़ा है। थोड़ी देर में ट्रेन चल पड़ी।

रास्ते में घर का खाना

मेरी सीट ऊपर की थी लेकिन नीचे वाली सीट खाली थी तो मैं उसी पर बैठ गया। थोड़ी देर तक तो मैं बाहर देखता रहा फिर उसके बाद घर से लाया हुआ खाना निकाला और खाना शुरू कर दिया। घर से किसी यात्रा पर जाने का यही फायदा होता है कि आपको एक बार का स्वादिष्ट खाना तो मिल ही जाता है। आपको ट्रेन से कुछ लेने की जरूरत नहीं पड़ती है और ना ही किसी होटल में जाने का मसला होता है। 

जब खाना खत्म हो गया तो मैं किताब को पढ़ने लगा। एक बार किताब को पढ़ना शुरू किया तो बस पढ़ता ही रहा। लगभग 7-8 बजे इस शानदार किताब को पूरा पढ़ लिया। रास्ते के नजारों पर तो ज्यादा ध्यान नहीं दिया बस सूर्यास्त के समय जरूर खिड़की के बाहर देखता रहा था। रात होने के बाद तो अब बस जल्दी पहुँचने की जल्दी थी। रात के 11 बजे मेरी ट्रेन जयपुर पहुँच गई। मैं कुछ ही मिनटों में जयपुर रेलवे स्टेशन से बाहर निकल आया। 

जयपुर में इंतजार

मैं इससे पहले जयपुर दो बार आ चुका हूं। 2018 में मेरी पहली सोलो ट्रिप जयपुर की ही थी। उसके बाद 2021 में भी दो दिन के लिए जयपुर आया था। मैं दोनों बार में जयपुर को लगभग पूरा घूम चुका हूं। इस बार मैं जयपुर घूमने के लिए नहीं आया था। मुझे राजस्थान के अगले शहर में जाने के लिए जयपुर से रात के 2 बजे एक ट्रेन पकड़नी थी। मुझे यहाँ कुछ घंटे इंतजार करना था।

थोड़ी-थोड़ी भूख तो लग आई थी तो मैं रेलवे स्टेशन के सामने वाले होटल में पहुँच गया। वहाँ मैंने सेव टमाटर की सब्जी और रोटी खाकर पेट पूजा की। इसके बाद वापस रेलवे स्टेशन के वेटिंग रूम एरिया में आ गया। अब बस ट्रेन का इंतजार करना था। ट्रेन अपने समय पर स्टेशन पर आई और हम भी अपने समय पर अपने कोच और सीट पर पहुँच गए। कुछ देर में हमारी ट्रेन जयपुर से चल पड़ी। 

जोधपुर

इस ट्रेन में भी मेरी सीट ऊपर की थी लेकिन एक बार फिर से मैं नीचे वाली सीट पर लेटा लेकिन इस बार वजह अलग था। जिसकी सीट नीचे वाली थी वो मेरी सीट पर खर्राटे ले रहा था। टीटीई ने कहा कि उसकी सीट पर लेटना चाहते तो लेट लो नहीं तो मैं उसको जगाता हूं। मैंने टीटीई की बात मान ली और नीचे वाली सीट पर लेट गया। कुछ देर बाद नींद की आगोश में चला गया। जब नींद खुली तो सुबह हो चुकी थी। कुछ देर बाद हम अपने गंतव्य पर पहुँच गए। इस जगह का नाम है, जोधपुर।

जोधपुर पहुँचने पर हमारी ऑफिशियल राजस्थान की ट्रिप शुरू हो गई। मैं पहली बार इस शहर को एक्सप्लोर करने के लिए आया हूं। अब हमें सबसे पहले जोधपुर में रहने का ठिकाना खोजना था। उसी खोज को दिमाग में लेकर मैं जोधपुर रेलवे स्टेशन से बाहर निकल पड़ा। इस तरह हमारी राजस्थान की लंबी यात्रा शुरू हो गई। लगभग 15 दिन की राजस्थान यात्रा का पहला शहर है, जोधपुर।

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